Sunday, February 14, 2016

Arranged Love Well-in-time


“हर काम का एक टाइम होता है, और सब काम अगर अपने सही टाइम पर हो जाये तभी अच्छा लगता है |” ऐसा कह कर मम्मी ने फ़ोन पर बात खत्म की |

जैसे की हर माँ को अपने बेटे की शादी की चिंता हो जाती है, वही घडी हमारे जीवन में भी आ पहुंची थी | मम्मी की दलील थी की अब तो बेटा B.E. हो गयी, फिर दो साल नौकरी और उसके बाद M.B.A. भी कर लिया, अब एक बड़ी IT कंपनी में अच्छी प्रोफाइल पर सेट हो गए हो तो, लाइफ में भी settle हो जाओ |

मम्मी के हिसाब से 27-28 की उम्र सब से सही है शादी के लिए, और मैं already उस stage पर पहुँच गया था |

हिंदुस्तान में शादियों में रिश्तेदारों की विशेष रूचि होती है | ऊनका हमेशा ध्यान रहता है की किसका बेटा बड़ा हो गया या बेटी बड़ी हो गई, किसकी पढाई पूरी हो गई, कहाँ नौकरी लगी, कितना package है | कई बार तो माँ- बाप को उनके बच्चो के बड़े होने का realization रिश्तेदार और पडोसी ही कराते है, जब वो आपके माँ- बाप को पूछते है- “अरे, बच्चा बड़ा हो गया, शादी का क्या ख्याल है?”

हमारे देश में बड़े होने का एक ही मापदंड है, कि आप की उम्र शादी लायक हो गई है, मगर आप शादी निभाने लायक हो या ना हो इसका इससे कोई लेना देना नहीं |

मुझे लगता है, हमारे देश में सब से बड़ी industry अगर कोई है तो वो है शादी की industry | Manufacturing, IT, hospitality, telecom इसके आगे कहीं नहीं टिकते, बल्कि शादी industry ही इन सब industries को भी चला रही है | जैसे की शादियों के season में देखिये कैसे hotel, food, textile, travel, jewellry industry की चांदी ही चांदी होती है | देश की economy में एक विशेष महत्व है- शादियों का और सब ‘मेक इन इंडिया’ के तर्ज़ पर |

शादियों में जोड़ी-मेकिंग का काम भी जोर-शोर पर होता है | सभी रिश्तेदार एक दम सक्रिय होते है यह पता लगाने में कि किसके बच्चे बड़े हो गए और फिर शुरू हो जाती है उनकी Permutation & Combination- “वो जो दिल्ली वाली बुआ की ननद का बेटा है ना, इंजिनियर है और बंगलोर में IT कंपनी में काम करता है, package 6 लाख का है, सुना है अमरीका जाने के भी chances है, 5 फीट 9 इंच हाइट है और देखने में भी बहुत सुन्दर है, आप कहो तो आपकी बेटी की बात छेड़े |” और कुछ इस तरह माँ- बाप के ज्ञान-चक्षु खोल दिए जाते है |

यह कहानी और आसन हो जाती है अगर आपका कोई cousin same age-group का हो तो | मेरे मामाजी का बेटा मेरी ही उम्र का है, और वो अपने business में सेट है, सो मामाजी अब उससे पूरे जोरो से settle कराने की फ़िराक में थे | यही मेरे मामाजी अपनी बहन यानी की मेरी मम्मी को भी समझाते रहते थे | ख़ास बात तो ये कि मेरे cousin के लिए जिस लड़की का रिश्ता आता और अगर उन दोनों की कुंडली मैच न होती तो मामाजी वो profile मेरे लिए मम्मी को pass-on कर देते | बनिया परिवार में ये सोच तो ख़ास होती है कि अगर customer दुकान में आ गया है, तो खाली हाथ नहीं जाना चाहिए |

पिछले कुछ दिनों से मेरी मम्मी भी काफी active थी मेरी शादी को लेकर, रोज़ ही उनका फ़ोन आता था मुझे update देने के लिए की फला-फला रिश्तेदार ने कोई नई profile भेजी है, लड़की ने ये पढाई की है, फिर उसकी height, color और hobbies... और मैं चुपचाप सब सुन लेता |

फिर एक शनिवार की दोपहर में मम्मी का फ़ोन आया, इस बार मम्मी की टोन में थोडा ज्यादा seriousness थी-
“हैल्लो, बेटा कैसे हो?”

“मैं ठीक हूँ, मम्मी आप बताओ घर पर सब कैसे हैं?”

“यहाँ भी सब बढ़िया हैं...अच्छा सुन...मामाजी का फ़ोन आया था वो बता रहे थे कि आजकल शादियाँ भी internet के जरिये हो जाती है | वो क्या होता है, कोई website..”

“हाँ मम्मी, jodi.com”

“हाँ हाँ jodi.com, यही कहा था तेरे मामा ने भी.., तुम्हे पता है इसके बारे में...”

“सुना है और TV पर advertisement देखे है मम्मी..”

“मामा कह रहे थे कि, इस पर bio-data बना लो, फिर आप अपने हिसाब से अपनी पसंद की लड़की दूंढ़ सकते हो..और लड़की वाले भी आपका bio-data देख सकते है..”

“हम्म...” कहते हुए मैंने सोचा मामाजी को क्या जरुरत थी इतना ज्ञान देने की, और मुझे पूरा अन्देशा था कि आगे मम्मी क्या कहने वाली है..

“तो बेटा, क्या सही में ऐसे रिश्ते दूंढ सकते है?” मम्मी ने ये सवाल एक दम वैसे पूछा जैसे एक छोटा बच्चा बड़ी जिज्ञासा से पूछता है- ‘क्या, सही में परियाँ होती है?’

“पता नहीं, होते ही होंगे तभी तो यह सब websites चल रही है..” मैंने टालने के लिए कहा..
मगर आज मम्मी पूरा मन बना लिया था..

“तो तुम भी अपना bio-data बना लो, jodi.com पर और जरा देख कर बताओ की कोई लड़की तुम्हे पसंद हो तो..”

“अरे, मम्मी आप भी ना, ये सब फिजूल की बातें है, कहाँ आप इन सब लफ्ड़ो में पड़ रही हो..”

“तुम बात माना करो, चलो अभी मुझे किचन में कुछ काम है, मैं फ़ोन रखती हूँ, मगर तुम याद से bio-data जरुर बना लेना...”

“ok, मम्मी, bye..” कहते हुए मैंने भी फ़ोन रख दिया और चूँकि शनिवार की आलसी दोपहर का समय था और कुछ ख़ास timepass के लिए नहीं था तो मैंने लैपटॉप उठाया और jodi.com खोली | उस website पर बिना profile create किये आप ज्यादा timepass नहीं कर सकते तो मैंने उसको बंद कर दिया और TV पर क्रिकेट देखने में busy हो गया |

धीरे से ये बात मैं भूल भी गया और अपने ऑफिस के काम और weekend की मस्ती में मग्न हो गया | IT industry में काम करने वालो का पूरा हफ्ता या ऐसा कहे की weekdays, weekend के इंतज़ार में ही बीत जाते है और weekends सोने में, movies में, दोस्तों साथ पार्टी में बीत जाते है | Sunday की शाम तो weekend के इतनी जल्दी खत्म होने की उदासी में डूब जाती है | शायद इस industry में काम करने वालो को दुनिया में किसी भी चीज़ से इतना डर नहीं लगता जितना की Monday से |

मैं भूल गया था इसका मतलब ये नहीं की मम्मी भी भूल गई थी, दो हफ्तों बाद फिर से मम्मी का कॉल आया और मम्मी में एक दम Project Manager की तरह कॉल पर progress status पर follow-up किया | और इस बार मुझे next deadline भी दे दी कि अगले weekend तक bio-data बन ही जाना चाहिए |

खैर, अब option नहीं था तो एक बार फिर मैं jodi.com पर गया अपनी profile बनाने या यूँ कहे कि bio-data बनाने | Login create कर के मैंने कुछ profiles पहले तो पढ़े कि लोग लिखते क्या है, वैसे भी B.E. और M.B.A. करने के बाद copy-paste की आदत कुछ ज्यादा ही हो जाती है | ज्यादातर profiles में जो description लिखा था वो ऐसा लिखा था कि मानो parents ने ही profile बनायीं हो |

Going with the trend, मैंने भी शुरू किया-

My son has been groomed in a loving family culture. He is a caring person and has respect for elders. He has a positive outlook towards life and likes to enjoy life to the fullest. He has a good track record in academics and has been performing well professionally....”

M.B.A. करने से आप का adjectives का ज्ञान अच्छा हो जाता है और आप अपने बारे में फ़ेंकने में माहिर हो जाते है | अपनी educational qualifications, family details, work-experience भर कर मैंने अपनी profile complete की | फिर थोड़ी देर, ‘recommended for you’ वाली profiles देख कर मुझे लगा कि, लड़के लडकियों के लिए timepass करने के लिए इससे अच्छा फोरम क्या होगा, यहाँ तो सभी पटने और पटाने के मक़सद से ही आए है |

धीरे-धीरे एक-दो महीने बीत गए, ज्यादा कुछ response आए नहीं, जो आए उनमे मैंने interest नहीं दिखाया और वैसे भी मैं ज्यादा active नहीं था website पर | जब जब मम्मी follow-up कर लेती थी तब तब मैं जाकर दो-चार profiles पर ‘Show Interest’ क्लिक कर देता |

इन सब के बीच February का महीना आ गया, Feb के आते ही सभी लड़के-लडकियों में आशिकी का भाव और ज्यादा ही जाग जाता है | ऑफिस में एक दोस्त जिसकी की गर्लफ्रेंड भी हमारे ही ऑफिस में थी, उसने मुझ से पूछा कि- “भाई, वैलेंटाइन डे का क्या प्रोग्राम है?”

मैंने जवाब दिया- “क्या वैलेंटाइन डे, अपने तो सब दिन बराबर ही है | प्लान तो तुम लोगो का होगा |”

“भाई, एक गर्लफ्रेंड हो ना, तो लाइफ सेट हो जाती है..” उसने मुझे समझाते हुए कहा..

“दोस्त, जिनकी गर्लफ्रेंड है उनको क्या फ़र्क पड़ता है, सब दिन ही वैलेंटाइन डे मनाओ, और जो AILA (All India Lukkha Association) members है उनके लिए सब दिन FOSLA (Frustated One Sided Lovers Association) डे है |”- मैंने हसते हुए कहा..

उसने तपाक से कहा – “तुम नहीं समझोगे, अभी भी थोड़े दिन है वैलेंटाइन डे में, कोशिश कर लो, क्या पता किस्मत खुल जाये..”

मैंने उसकी बात हँस कर टाल दी और फिर दोनों अपने अपने लैपटॉप में आँखें घुसा के बैठ गए |

सोमवार की एक सुबह मैं ऑफिस पहुँचा ही था कि मेरे पास मेरे चाचाजी का फ़ोन आया, हालचाल पूछने के बाद चाचाजी सीधे मुद्दे पर आए-

“अच्छा यह बताओ, कॉलेज में कोई प्यार-व्यार का चक्कर था?” चाचाजी ने पूछा...

“जी चाचाजी!!!. क्या बोल रहे है आप, मैं कुछ समझा नहीं...”

“कोई लड़की पसंद रही हो तो बताओ..” चाचाजी ने अपने सवाल को और direct करते हुए कहा..

अब चाचाजी को कैसे बताता की जो पसंद थी, वो हमेशा फ्रेंडशिप वाले लेवल से आगे ही नहीं बढ़ी | जाने कैसे लडकिया दोस्त, अच्छे दोस्त और बॉयफ्रेंड वाले लेवल decide करती है |

“नहीं, चाचाजी ऐसा तो कुछ नहीं है..” मैंने जवाब दिया

“कोई हो तो बता दो, शर्माने की जरुरत नहीं है..”

“नहीं नहीं ऐसी कोई बात है ही नहीं...”

चाचाजी का अगला सवाल- “आने वाले शनिवार क्या कर रहे हो?”

“जी, कुछ नहीं....मगर क्यों...”

“तो फिर शनिवार को लखनऊ आने के टिकेट करा लो, एक लड़की से मिलने जाना है...”

“मगर चाचाजी...वो....ऐसे...कैसे...अचानक...”

“अरे, जब कोई लड़की पसंद नहीं की, किसी से कोई चक्कर नहीं है, तो फिर आने में क्या तकलीफ है....अगर कोई हो तो बता दो, या फिर शनिवार को लखनऊ में मिलते है...”

मेरे पास चाचाजी को counter करने के लिए कोई तर्क नहीं था | चाचाजी का character ऐसा है कि वो हमेशा तूफ़ान मेल पर ही सवार रहते है, और परिवार में ब्रम्हास्त्र की तरह use किये जाते है, क्योंकि उनको किसी भी चीज़ के लिए मना कर पाना मुश्किल ही नहीं तकरीबन नामुमकिन है |

खैर, अपनी समझ में एक बात आ गई थी कि, घर वालो ने तय कर लिया है– ‘बेटा, तुम से ना हो पाएगा..’

मैंने तुरंत मम्मी को फ़ोन लगाया, मम्मी ने बताया की लखनऊ वाली बुआ जी के जानने वाले परिवार की लड़की है, बड़ा अच्छा परिवार है, लड़की भी अच्छी है, पढ़ी-लिखी है, किसी रियल-एस्टेट कंपनी के Finance department में काम करती है और कुंडली में 30 गुण मिले है | मेरी तो मम्मी ने एक ना सुनी और अपनी सब सुनाती चली गई | वैसे भी कुंडली अच्छी मिल गई है, इसके बाद तो मतलब मान लीजिये कि इससे अच्छा और हो ही नहीं सकता है | मम्मी ने ये भी बताया की शनिवार को दीदी-जीजाजी और बड़े भैया भी पहुँच रहे है लखनऊ | यानी की मुझे बोतल में उतारने की पूरी प्लानिंग हो चुकी थी, और सब से बाद में मुझे सिर्फ FYI किया जा रहा था |

मैंने तुरंत दीदी को फ़ोन किया, शायद वो मेरी बात समझे, तो दीदी भी वही लाइन्स बोल रही थी जो मम्मी | अच्छा परिवार, अच्छी लड़की...

“दीदी, दोनों परिवार अच्छे है, मगर लड़का तो 12 साल से हॉस्टल में रहता है, किसी को क्या पता उसका character कैसा है? क्या करता है, कहाँ आता जाता है, कोई देखने वाला नहीं है ...” मगर मेरा ये logic भी घर वालो के दृढ निश्चय के आगे ना चला |

दीदी ने मुझे लड़की का फ़ोन नंबर और email id दे दिया और कहा कि शाम 8 बजे वो ऑनलाइन रहेगी, तुम दोनों बात कर लो, और हाँ तुम चिंता न करो, जब तक तुम दोनों ‘हाँ’ नहीं करोगे, तब तक हम लोग बात आगे नहीं बढ़ाएंगे, Saturday तक जितनी बातें करनी है खूब करो | सबके पास अपने अपने तर्क एक दम तैयार थे |
शाम 8 बजे, मैंने Google Talk पर login किया, infact मैंने 5 मिनट पहले ही login कर लिया था | वो कुछ 8:10 पर ऑनलाइन आई, इंतज़ार में बिताये 15 मिनट भी घंटो जितने भारी लगते है | मैंने इतनी देर में उसकी Facebook profile, उसके photos चेक कर लिए, क्योंकि शादी के लिए जो स्पेशल फोटो स्टूडियो में  खिंचवाई जाती है, वो फोटो मेरे पास तक आई नहीं थी |

जब वो ऑनलाइन आई, शायद उसने भी मुझे ऑनलाइन देख लिया था, मगर पहले ping कौन करे, ऊपर से मामला लखनऊ का, कि पहले आप पहले आप...

खैर, मैंने ही पहल की और लिखा-

“hi..”
जवाब आया “hi....”

कॉलेज में आप कितनी भी लडकियों से बात क्यों न करते रहें हो, मगर ऐसे मौके पर आपके पास topics का अकाल पड़ ही जाता है |

फिर थोड़ी देर वही जनरल बातें, आप क्या काम करते है, क्या पसंद है, eating habits, drinking habits, hobbies....blah..blah..blah..थोड़ी दी देर में हम दोनों बड़े comfortably बातें करने लगे, बातें एक topic से दूसरे topic पर smoothly flow हो रही थी और हमारे बीच अकाल वाली situation नहीं आई | इधर उधर की बातें चल ही रही थी, कि अचानक उसने important topic की तरफ रुख किया और कुछ loaded questions मुझ पर दे मारे-

“What do you think about marriage?”
“Do you think that, a girl should continue working after marriage or not?”

शायद, मैं इतने भारी सवालो के लिए तैयार नहीं था पर फिर भी इंजीनियरिंग के viva की तरह कुछ तो satisfactory जवाब दे कर मैंने बात आगे बढ़ाई |

मैंने कहा- “Why not, she must continue working and both should equally work at home also.” ऐसा बोल कर मुझे confidence आया कि मैंने कुछ तो अच्छा जवाब दिया है, मगर उसने तुरंत ही कहा कि- “working or not working should be girl’s prerogative..” मुझे तो ये नहीं समझ आता है कि लडकियों को इतनी भारी-भरकम English बोलने की जरुरत क्या होती है | ऑनलाइन चैट करने का यह फायदा है कि, आप तुरंत Google देव को refer कर सकते है और मैंने भी तुरंत यही किया |

खैर, बातो का सिलसिला चलता रहा और पता ही नहीं लगा की 11 कब बज गए, पहले ही दिन 3 घंटे बीत गए और वक़्त का पता नहीं चला, ये संकेत तो अच्छे थे | अगले दिन फिर से चैट का टाइम fix कर के, दोनों ने एक दुसरे को bye, good night बोल कर logoff किया |

थोड़ी ही देर में मोबाइल के टुनटुनाने की आवाज़ आई, देखा तो एक SMS:
“It ws nyc talkg 2 u. Gd nyt..Tk cr.”

ये SMS lingo ने भाषा का कतई क़त्ल कर दिया है, मगर समय अभी यह सोचने का नहीं था | SMS से एक बात clear थी कि, सामने वाली party भी मुझ में interested है | मैंने भी तुरंत reply किया- “Same here. Looking forward to talk to you again. Good Night!”

अगले दिन भी बातो का सिलसिला जारी रहा | हमेशा सोचता था की लोग घंटो बातें क्या करते है, मगर खुद भी घंटो बातें करने के बाद भी इस सवाल का जवाब नहीं मिला |

बुधवार के दिन उसको किसी family function में जाना था, तो उस दिन बात नहीं हुई, सिर्फ़ कुछ SMS इधर-उधर |
गुरुवार को बातो का सिलसिला ऑनलाइन से बढ़ कर फ़ोन तक आ पहुँचा, दोनों काफ़ी comfortable थे एक दूसरे के साथ, बातें खुद-ब-खुद auto-pilot mode पर चल रही थी, जैसे किसी पुराने दोस्त के साथ होती है |
आखिर शनिवार का वो दिन आ ही गया, वैसे तो weekend का इंतज़ार हमेशा होता है, मगर इस बार कुछ ज्यादा ही था | सुबह की flight से मैं लखनऊ पहुँचा, और फ़ोन on करते ही एक SMS ने मेरा स्वागत किया- “अदब और तहज़ीब की नगरी लखनऊ में आपका स्वागत है | मुस्कुराइये की आप लखनऊ में है |”

मैंने भी मुस्कुराते हुए “जी शुक्रिया” लिख कर भेज दिया |

लखनऊ के ‘फ़लकनुमा’ रेस्टोरेंट में दोनों परिवारों का मिलने का प्रोग्राम बना | हमारे देश में शादियाँ दो लोगो के बीच में नहीं बल्कि दो परिवारों की बीच में होती है | दोनों तरफ से पूरी फ़ौज आई थी, लड़का और लड़की देखने | 10 मिनट के awkward situation के बाद, दीदी ने कहा – “इन दोनों को अलग टेबल पर भेज देते है, आपस में बातें कर लेंगे, एक दूसरे को समझ लेंगे, कहाँ हम सब बड़ो के बीच में बैठे रहेंगे |”

हमको एक अलग टेबल जो दोनों फ़ौज के basecamp से थोड़ी दूर थी वहां भेज दिया गया | इस टेबल से नज़ारा कुछ ऐसा था कि सामने गोमती नदी बह रही थी और पूरे लखनऊ का अच्छा view मिल रहा था
| ऐसी सब situations में माहौल का बड़ा important role होता है और यहाँ तो माहौल पूरी तरह से set था |

हम दोनों की बातें फिर से शुरू हुई, जैसे पिछली कोई बात अधूरी ही रह गई हो | वैसे तो सब बड़े लोग हमारी टेबल से दूर बैठे थे, मगर उनकी नज़रे हम पर ही टिकी थी | बीच-बीच में जीजाजी के कुछ ऐसे SMS आ रहे थे-

“हाथ पकड़ लो, यही मौका है”
“हम लोग भी साथ आए है, भूल तो नहीं गए |”

खैर 90 मिनट की इस गुफ़्तगू के बाद मैंने पूछा कि-

“जब हम इस टेबल से उठ कर वापस जायंगे तो हम दोनों से एक ही सवाल पूछा जाएगा, तो क्या वो सवाल मैं तुमसे पहले ही पूछ सकता हूँ, कि तुम्हारा जवाब क्या है?”

उसने बिना 1 सेकंड सोचे हुये कहा- “मेरा जवाब तो हाँ है, आपका क्या है?”

“Congratulations..!!”- मैंने कहा, और फिर मैने हाथ मिलाने को उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाया, और हाथ मिला के हम अपनी अपनी फ़ौज की तरफ बढ़ गए | जहाँ हमारे सेना नायक हमारे जवाब का ही इंतज़ार कर कर रहे थे |

जैसे ही हम दोनों ने अपने अपने परिवारों को अपने फैसले के बारे में बताया, तो बस बधाईयों का ताँता लग गया | घरवाले ऐसे मौको पर पूरी तैयारी से आते है, पूरा असलहा साथ लेकर चलते है कोई कसर नहीं छोड़ते, फटाफट मम्मी के पर्स से अँगूठी निकल आई और वही घर वालो ने rings exchange करा के इस फैसले पर final मोहर लगा दी |

मगर एक बात हम दोनों ही समझ नहीं पाये कि सिर्फ 6 दिन में क्या ये love marriage थी या arranged marriage | ख़ास बात ये थी की घर वाले इसलिए खुश थे की हम उनकी पसंद से शादी करने को तैयार हुए और हम इसलिए खुश थे कि हम अपनी पसंद से शादी के लिए तैयार हुए |

वैसे आज की तारीख थी 13-Feb, तो मेरे दोस्त की माने तो मेरी वैलेंटाइन डे से पहले किस्मत खुल गई थी | अब मेरे पास भी मेरी Valentine थी, और Well-in-time थी..

Our families arranged our meeting and then Love happened..that’s how Arranged Love..

आज हमारी शादी की पहली सालगिरह है, ये एक साल बहुत ही ख़ुशगवार गुज़रा, अभी तक बातें वैसे ही smoothly auto-pilot mode पर चल रही है |

मम्मी का फ़ोन आया-
“बेटा, तुम दोनों को शादी की पहली सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो..दोनों साथ में खूब खुश रहो...”

“धन्यवाद मम्मी..”

“अब आगे का सोचो, family के बारे में..”

“क्या मम्मी आप भी..”


“हर काम का एक टाइम होता है, और सब काम अगर अपने सही टाइम पर हो जाये तभी अच्छा लगता है |” ऐसा कह कर मम्मी ने फ़ोन पर बात खत्म की |

~राघव